सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है.

मैं जला हुआ राख नही, अमर दीप हूँ, जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।.

उड़ जाती है नींद ये सोचकर, की सरहद पे दी गयी वो कुर्बानियाँ, मेरी नींद के लिए थी,

दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे, आजाद है आजाद ही रहेंगें।

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशान होगा, अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु सदा के लिए देश में अमर रहेंगे। देश के शहीदो को नमन!

कभी वतन के लिए सोच के देख लेना, कभी माँ के चरण चूम के देख लेना कितना मज़ा आता है मरने में यारो, कभी मुल्क के लिए मर के देख लेना। देश के शहीदों को शत् शत् नमन!